जब भी कोई लड़की शादी करके अपने नए घर जाती है, तो उसे सास और ननद को खुश रखने की खास हिदायत दी जाती है। वैसे सास और ननद को खुश रखना हर बहू के बस की बात नहीं होती है। शायद यही वजह है कि माता पार्वती भी अपनी ननद को खुश नहीं रख पाई और उन्होंने भगवान शिव से कहा कि मेरा पीछा छुड़ाओ। माता पार्वती और उनकी ननद के बीच की एक कहानी है,जिसका जिक्र पुराणों में किया गया है। बताया जाता है कि जब माता पार्वती शादी करके कैलाश पर्वत आई थी। तब कुछ दिनों बाद वे काफी दुखी रहने लगी। शिवजी तो हमेशा अपनी भक्ति में लीन रहते थे, ऐसे में माता पार्वती खुद को काफी अकेला महसूस करने लगी। अकेलेपन के कारण माता पार्वती काफी दुखी रहने लगी। तब भोले नाथ ने माता पार्वती से इस परेशानी का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि काश, मेरी भी ननद होती, तो मैं उसके साथ समय बिताती। ननद के साथ होने से मुझे अकेलापन का भी अहसास नहीं होता। शिवजी ने जब माता पार्वती की ये बात सुनी तो उन्हें काफी हंसी आई, उन्होंने माता से पूछा क्या, तुम ननद के साथ खुश रह पाओगी। शिवजी ने बहुत कोशिश की, माता पार्वती अपनी ये जिद छोड़ दे, लेकिन माता पार्वती नहीं मानी। इसलिए उन्होंने माता पार्वती की इस इच्छा को पूरी करने के लिए असवारी देवी को उत्पन्न कर दिया। तब तुरंत भोलेनाथ नेअसवारी देवी को उत्पन्न कर दिया। असावरी देवी बहुत मोटी थी। उनके पैरों में बड़ी-बड़ी दरारें थी। माता पार्वती अपनी ननद को पाकर बहुत खुश थी। माता पार्वती ने अपनी ननद के लिए कपड़े सीले, लेकिन वे इतनी मोटी थी कि उसे वो कपड़े आए ही नहीं। इसके बाद असावरी ने माता पार्वती से खाना मांगा। म पार्वती खुशी में असावरी देवी के लिए खाना बनाने लग गई। असावरी देवी ने पार्वती का बनाया हुआ सारा खाना खा लिया लेकिन फिर भी उसका पेट नहीं भरा। बार बार माता पार्वती अपनी ननद के लिए खाना बनाती और असावरी सारा खाना खा जाती है। इस वजह से माता पार्वती काफी थक गई, जब वे विश्राम करने लगी तभी असावरी को मजाक सुझा,
उन्होंने अपने पैरों की दरारों में पार्वती जी को छुपा लिया। पार्वती जी का दम घुटने लगा और माता पार्वती काफी परेशान हो गई। उसी समय शिवजी कैलाश पर्वत लौटे, जब उन्हें माता पार्वती नजर नहीं आई तब महादेव ने असावरी से पूछा, लेकिन असावरी ने झूठ बोल दिया। बाद में शिवजी को गुस्सा आया तो असावरी देवी जमीन पर पांव जोर से झटका तो पैर की दरारों में दबी देवी पार्वती बाहर आ गिरीं। इस तरह के व्यवहार से माता पार्वती को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने शिवजी से कहा कि मेरा पीछा छुड़ाओ मेरी इस ननद से।